
अहमदाबाद 12 जून को जब अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन जा रही फ्लाइट ने उड़ान भरी, किसी को अंदाज़ा नहीं था कि यह यात्रा कुछ ही सेकंड में मौत की उड़ान बन जाएगी। 241 यात्रियों से भरे बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के क्रैश हो जाने के बाद सब कुछ खामोश हो गया — लेकिन मलबे में एक नाम ऐसा था जो आज भी सांस ले रहा है — विश्वास कुमार।
🙏 एक चमत्कार, एक जिंदा कहानी — विश्वास
40 वर्षीय विश्वास कुमार, भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं। वह अपने भाई अजय के साथ दीव में अपने परिवार से मिलकर लंदन लौट रहे थे। लेकिन यह मुलाकात आखिरी साबित हुई। हादसे में विश्वास के भाई अजय समेत सभी लोग मारे गए, सिर्फ विश्वास ही थे जो मौत के उस खौफनाक मंजर से जिंदा बाहर निकल पाए।
शरीर के घाव भर रहे हैं, लेकिन दिल के नहीं
विश्वास को 17 जून को अहमदाबाद सिविल अस्पताल से छुट्टी मिली, लेकिन उनकी मानसिक हालत अब भी नाजुक है। चचेरे भाई सनी बताते हैं कि हादसे की यादें और भाई की मौत का सदमा उन्हें अब भी हर रात डराकर उठा देता है। वो अब भी लोगों से बात नहीं करते, और अब लंदन लौटने का कोई निर्णय नहीं लिया है।
अपने ही कंधे पर उठाया भाई का पार्थिव शरीर
सोचिए, कैसा होगा वो पल जब कोई इंसान खुद मौत से बच निकले और उसी हादसे में अपने भाई की अर्थी को कंधा दे? दीव में अजय की अंतिम यात्रा के दौरान वायरल हुए एक वीडियो में विश्वास को अपने भाई के पार्थिव शरीर को श्मशान ले जाते हुए देखा गया। यह दृश्य जितना मार्मिक है, उतना ही अभूतपूर्व साहस का प्रतीक भी।
मनोचिकित्सकीय इलाज जारी है
परिवार के अनुसार, विश्वास अब भी सदमे में हैं। रातों में बार-बार जाग जाते हैं, डरे हुए रहते हैं। हाल ही में उन्हें एक मनोचिकित्सक के पास ले जाया गया है और धीरे-धीरे इलाज की शुरुआत हुई है। वह इस हादसे से मानसिक रूप से उबरने की कोशिश कर रहे हैं — लेकिन यह सफर लंबा और अकेला है।
📹 जिस वीडियो ने पूरी दुनिया को झकझोरा
हादसे के कुछ मिनट बाद का एक वीडियो सामने आया, जिसमें विश्वास मलबे से दूर एक एम्बुलेंस की ओर जाते दिखते हैं। यह पल उनके जीवन की नई शुरुआत था — लेकिन उनके लिए असली लड़ाई तो अब शुरू हुई है — अपने भीतर की टूटी हुई दुनिया से जूझना।
