राजस्थान की राजनीति इन दिनों फिर से चर्चा में है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व को लेकर न केवल विपक्ष, बल्कि भारतीय जनता पार्टी के भीतर से भी सवाल उठने लगे हैं। यह सवाल और भी गंभीर हो जाते हैं जब राज्य की प्रशासनिक और राजनीतिक परिस्थितियों का विश्लेषण किया जाए।
अपनों से ही चुनौती
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पार्टी के अंदर ही कई विरोधी धड़ों से चुनौती मिल रही है।
डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, वसुंधरा राजे, और संघ समर्थित कार्यकर्ताओं की ओर से उठते सवालों ने मुख्यमंत्री की स्थिति को असमंजस में डाल दिया है।
राष्ट्रीय नेतृत्व भी अब राजस्थान की स्थिति पर नजर बनाए हुए है, जिससे यह अटकलें और तेज हो गई हैं कि क्या आने वाले समय में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना बन सकती है?
विपक्ष की सुस्त चाल, लेकिन बयानबाज़ी तेज
राज्य में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में होते हुए भी ज़मीन पर संघर्ष करते नहीं दिख रही, लेकिन सोशल मीडिया और बयानों के माध्यम से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कार्यशैली पर सवाल जरूर उठा रही है।
हनुमान बेनीवाल की सड़कों पर लड़ाई
जहां एक ओर कांग्रेस अपेक्षाकृत शांत नजर आती है, वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के नेता हनुमान बेनीवाल ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरने का प्रयास किया है।
SI भर्ती, सरकारी भर्तियों की अनिश्चितता, और अफसरशाही के हावी रवैये को लेकर बेनीवाल और उनके कार्यकर्ता लगातार सड़क पर आंदोलन करते दिख रहे हैं, जो जनमानस में प्रभाव छोड़ रहे हैं।
शासन और प्रशासन की समझ की कमी?
मुख्यमंत्री बनने से पहले भजनलाल शर्मा का सीधा प्रशासनिक अनुभव ना होना भी उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
पार्टी के भीतर ही कुछ नेताओं का मानना है कि अफसरशाही राज्य सरकार पर हावी होती जा रही है, जिससे जनहित की नीतियाँ जमीन पर उतरने में देरी हो रही है। यही बात जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष का कारण बन रही है।
निष्कर्ष:
भजनलाल शर्मा की सरकार ने अभी कुछ ही महीनों का कार्यकाल पूरा किया है, लेकिन उठते विवाद और आंतरिक असंतोष कई सवाल पैदा कर रहे हैं।
राजनीति में परिस्थितियाँ पल-पल बदलती हैं और अगले पाँच सालों में बहुत कुछ हो सकता है।
फिलहाल यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी या नहीं, लेकिन इतना तय है कि मुख्यमंत्री को आगे चलकर सशक्त नेतृत्व, प्रशासनिक नियंत्रण, और जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
Editer – NeoChanakya